बारात

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शादी के समय जब तारीख फिक्स हो जाती है, तो अक्सर लड़की का बाप लड़के के बाप से पूछता है, "कितनी बारात लाओगे?"

लड़के का बाप गर्व से कहता है, "पाँच सौ।"

लड़की का बाप चिंतित होकर बोलता है, "इतनी बारात बहुत ज्यादा हो जाएगी, दो सौ बारात ले आना।"

लड़के का बाप दृढ़ता से कहता है, "दो सौ बारात में हमारी इज्जत नहीं होगी। गांव में हर घर से कम से कम एक आदमी तो पूछना ही पड़ेगा। तो सिर्फ गांव के दो सौ लोग हो जाएंगे। फिर हमारे रिश्तेदार और घर की औरतें हो जाएंगी। जिसे नहीं पूछेंगे वही बुरा मान जाएगा, इसलिए कम से कम पाँच सौ लोग आएंगे। हम तो आपके हालात देखकर पाँच सौ बाराती ला रहे हैं वरना हमारा परिवार इतना बड़ा है कि हमें छह सौ बाराती से ज्यादा लाना चाहिए।"

शादी धूमधाम से हो जाती है और बारात में सैकड़ों लोग शामिल होते हैं। लेकिन कुछ दिनों बाद जब उसी लड़के वालों के घर में कोई बीमार हो जाता है, तो पूरे गांव में कोई एक यूनिट खून देने वाला नहीं मिलता। सोशल मीडिया पर अपील करनी पड़ती है। अगर किसी से झगड़ा हो जाता है, तो पूरे गांव में दो लोग ऐसे नहीं मिलते जो कोर्ट में चलकर जमानत ले सकें।

इससे हमें यह सीखने को मिलता है कि सामाजिक दिखावे से अधिक महत्वपूर्ण हैं वे रिश्ते जो संकट के समय हमारा साथ निभा सकें।

असली रिश्तों की अहमियत
संकट के साथी: जो कठिन समय में भी आपका साथ न छोड़ें।
सच्चे मित्र: जो दिखावे से परे आपके सच्चे हितैषी हों।

मेरा मानना है:
बारात में सिर्फ उन्हें ही लेकर जाना चाहिए जो:

एक यूनिट ब्लड दे सकें - जो आपके संकट के समय आपकी सहायता कर सकें।
जो कोर्ट में खड़े होकर तुम्हारी जमानत ले सकें - जो आपके साथ हर मुश्किल घड़ी में खड़े रहें।
शादी एक पवित्र बंधन है और इसमें शामिल होने वाले लोगों का चुनाव समझदारी से करना चाहिए। बारात में वे लोग शामिल होने चाहिए जो वाकई में आपके जीवन के हर उतार-चढ़ाव में आपके साथ हों।

असली रिश्तों की पहचान
शादी का बंधन केवल धूमधाम और दिखावे तक सीमित नहीं होना चाहिए। यह एक ऐसा बंधन है जिसमें केवल वे ही लोग शामिल होने चाहिए जो वास्तव में आपके जीवन में महत्वपूर्ण हों और आपके कठिन समय में आपका साथ दें।

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