देव से महादेव

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देव से महादेव बनना आसान नहीं होता है। जो अमृत पीते हैं वो देव बनते हैं और जो राष्ट्र, समाज एवं प्रकृति की रक्षा के लिए विष को भी प्रेम से पी जायें वो महादेव बन जाते हैं। बिना विष को पिये और विषमता को पचाये कोई भी महान नहीं बन सकता है। आज के समय में अमृत की चाह तो सबको है पर विष की नहीं लेकिन बिना विष को स्वीकारे कोई अमृत तक भी नहीं पहुँच सकता है।

संघर्ष, दुःख, प्रतिकूलता,अभाव ये सब तुम्हें निखार रहे हैं। समस्या को स्वीकार करना ही समस्या का समाधान है। कोई भी समस्या तब तक ही है, जब तक आप उससे डरते हो और उसका सामना करने से बचते हो। मनुष्य के संकल्प के सामने बड़ी से बड़ी चुनौती भी छोटी हो जाती है। विषय सुखों से मुक्त होना और विषमता के विष को पीना ही महादेव बनना है। 

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